Tuesday, November 18, 2008

एहसास


तुम्हारे आने पे ये एहसास हुआ है
की हमको तुमसे प्यार हुआ है
ये अरमान दिल में पहली बार हुआ है
थाम लो हाथ अब मेरा, ऐसा दिल बेकरार हुआ है
शिद्दत से तुम्हारा इंतज़ार हुआ है
बीत जाए तुम्हारे संग, दूर रहना तुमसे अब दुश्वार हुआ है
मोहब्बत बहुत सच्ची है यह तुमसे यकीन हुआ है
ख़ूबसूरत ज़िन्दगी का नज़ारा तुम्ही से हुआ है
प्यार का मौसम सारी ओर छाया हुआ है
जैसे हर पल खुशियों से भरा हुआ है
फरिश्तों का जिक्र कहानियों में सुना हुआ है
तुमसे मिलकर फरिश्तों का दीदार हुआ है
प्यार के अमन ओ चैन में कबीर खोया हुआ है
अब तुम्हे पाने को दिल बेताब हुआ है

आज एक जाम

क्यों न आज एक जाम तेरे नाम हो जाए
तेरी बेवफाई के किस्से सर-ऐ-आम हो जाए।
इतना जो गुरूर है तुझे ख़ुद पे ऐ जालिम
तू भी सबके नज़र में बदनाम हो जाए ।
मैं गर झूठा हूँ मुझे मौत आ जाए
तुझमें कमी हो तू तमाम हो जाए।
दुआ है 'कबीर' की आज खुदा की डर पे
तू भी सौदागर के हाथों नीलाम हो जाए।

गफलत

कुछ तबियत ही मिली थी ऐसी
चैन से जीने की सूरत न हुई ।
जिसको चाह उसे अपना न सके
जो मिला उस से मोहब्बत न हुई।

वो यादें

कुछ अपने थे कुछ सपने थे
कुछ पहचाने से कुछ अनजाने थे
वक्त की दौड़ में वो सब
जाने कहाँ खो गए।

सब कुछ अपना था कुछ देर पहले
आज हम इतने बेगाने से हो गए।

तन्हाई से बातें करना अच्छा लगता था
तन्हाई भी साथ नही अब तो
जाने इतने तनहा कैसे हो गए।

सब कुछ तो है पहले जैसा पर
वो लम्हे जो खुशी दिया करते थे
जाने कहाँ बनकर खुशबू फिजाओं में खो गए।

ढूंढती है आँखें मेरी फिर वही मंज़र
वो सपने वो यादें, वो रेत और समंदर
कहीं नज़र नही आते वो पल, वो सामान
लगता है जैसे की वो कंही धुआं हो गए...

दर्द को भी दर्द

दर्द को भी दर्द होने लगा,
दर्द मेरा घाव धोने लगा

दर्द के मारे न हम रोये कभी

दर्द हमें देखके रोने लगा।

Monday, November 17, 2008

दर्द से दोस्ती

अब तो दर्द से दोस्ती हो गई यारों
ये जिंदगी बेदर्द हो गई यारों।
क्या हुआ जो जल गया आशियाना हमारा
दूर तलक तो रौशनी हो गई यारों॥

Friday, November 7, 2008

अब तो जागो

धमाकों के तमाचों से आँखें तो खुली होंगी ,

गर अब भी न उठा हाथ तो ये बुजदिली होगी ।

चूहे बिल्ली का ये खेल आख़िर कब तक चलेगा ?

आज दहली है मुंबई कल खाक में दिल्ली होगी ।

है गफलत की उंघती सरकारें जागेंगी धमाकों ke शोर से

सियासतदानों की कुछ देर को महज कुर्सी हिली होगी ।

ज़ंग जरूरत है अमन की हिफाजत के लिए वरना

खिजां के साए तले सहमी चमन की हर कली होगी

"सौ सुनार की एक लोहार" की याद रहे 'कबीर'

जब हम लेंगे हिसाब तो हर चोट की वसूली होगी


तेरा शुक्रिया कुछ इस तरह से अदा करूं

तू करे बेवफाई मैं सदा वफ़ा करूं ।

मेरी मोहब्बत ने बस इतना सिखाया मुझे,

ख़ुद मिट जाऊं पर तेरे लिए दुआं करूं ।

तेरा शुक्रिया कुछ.......


Tuesday, November 4, 2008

एक दुआ मांगते हैं हम अपने भगवान से ,
चाहते हैं आपकी खुशी पूरे ईमान से ।
सब हसरतें पूरी हो आपकी ,
और आप मुस्कुराएं दिल- ओ - जान से ।
मेरी तरफ़ से राज ठाकरे के लिए
छठ पर्व के शुभ मौके पर आप सभी को शुभकामनाएं
एकच ध्यास,
भय्यांचा विकास!
जय महाराष्ट्र जय भारत