(१)
बदलता है जिस तरह पहलू जमाना
यूँ ही भूल जाना, यूँ ही याद आना
अजब सोहबतें हैं मोहब्बतज़दों1 की
न बेगाना कोई, न कोई यगाना२
फुसूँ3 फूँक रक्खा है ऐसा किसी ने
बदलता चला जा रहा है ज़माना
जवानी की रातें, मोहब्बत की बातें
कहानी-कहानी, फ़साना-फ़साना
तुझे याद करता हूँ और सोचता हूँ
मोहब्बत है शायद तुझे भूल जाना
1।प्रेम के मारे हुए, 2. आत्मीय, 3. जादू
(२)
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िन्दगी ! हम दूर से पहचान लेते हें
जिसे कहती है दुनिया कामयाबी वाए1 नादानी
उसे किन क़ीमतों पर कामयाब इन्सान लेते हें
तबीयत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में
हम ऐसे में तिरी यादों की चादर तान लेते हें
खुद अपना फ़ैसला भी इश्क़ में काफ़ी नहीं होता
उसे भी कैसे कर गुज़रें जो दिल में ठान लेते हैं
जिसे सूरत बताते हैं पता देती है सीरत2 का
इबारत देखकर जिस तरह मा’नी जान लेते हें
तुझे घाटा न होने देंगे कारोबार-ए-उल्फ़त में
हम अपने सर तिरा ऐ दोस्त हर नुक़सान लेते हैं
ज़माना वारदात-ए-क़ल्ब सुनने को तरसता है
इसी से तो सर-आँखों पर मिरा दीवान लेते हैं
1.हाय-हाय, 2.स्वभाव
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