Thursday, December 18, 2008

शायरी

शायरी


कैसे कहूं मैं तुमसे , अपने इस दिल की बात,
हिम्मत तो की इतनी, लबों ने ने पर दिया साथ
अपनी यह चाहत ले कर, करूँ मैं अब तुमसे क्या इजहार,
दिन तो कट जाते हैं कटती नही यह रात
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क्या पता तुम्हे इस दिल की हालत,
जिस की सागर की गहराई तक सिर्फ़ तुम हो
क्या जानो मेरी दीवानगी और जूनून,
के तुम इतनी दूर होते हुए भी,
दिल के बहुत करीब हो
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कुछ गुस्सा, कुछ नखरा, कुछ इल्तिजा भी है आपकी,
हम से रूठना, हमे सताना,
तड़पाने की अदा भी है आपकी
हर बात पे हँसना, हर पल मुस्कुराना,
हर बातों से दिल धडकाना
अपनी शर्मीली नजरों से, सुर्ख होठों से,
हर साँसों को चूम लेना
क्या क्या करे यह दिल अफसाने बयां आपके ,
आप मसीहा -- इश्क हैं,
यह बन्दा खादिम है सिर्फ़ आपका

विजय राजभर