Tuesday, November 18, 2008

आज एक जाम

क्यों न आज एक जाम तेरे नाम हो जाए
तेरी बेवफाई के किस्से सर-ऐ-आम हो जाए।
इतना जो गुरूर है तुझे ख़ुद पे ऐ जालिम
तू भी सबके नज़र में बदनाम हो जाए ।
मैं गर झूठा हूँ मुझे मौत आ जाए
तुझमें कमी हो तू तमाम हो जाए।
दुआ है 'कबीर' की आज खुदा की डर पे
तू भी सौदागर के हाथों नीलाम हो जाए।

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